#दृष्टिकोण
किसी भी व्यक्ति, वस्तु या स्थान को देखने का दृष्टिकोण सभी जीवों में सर्वथा भिन्न होगा ।
जीवों का ये दृष्टिकोण उनके पूर्व अनुभवों पर आधारित होता है।
जब आप किसी पक्षी को पिंजरे से मुक्त करने हेतु भी हाथ बढ़ाते है तो वो भयभीत हो जाते हैं क्यूँकि उनका दृष्टिकोण उनके पूर्व अनुभवों के कारण आपकी नेक भावनाओं को समझ पाने में सक्षम नही है।अर्थात् आपकी छवि उनके दृष्टिकोण से अच्छी नही है।
तो क्या वास्तव में आपकी छवि वैसी ही है ?
आज के परिपेक्ष्य में एक कटु सत्य यह भी है की किसी के प्रति किसी प्रकार का दृष्टिकोण आज मनुस्य किसी से मिलकर अथवा उससे बात कर के नही बनाता बल्कि किसी के बारे में विभिन्न प्रकार के स्रोतों से जो प्रचारित प्रसारित किया जाता है उसी के आधार पर लोग अपना दृष्टिकोण भी निर्धारित कर लेते हें।
जब प्रचार प्रसार व्यापार बन जाए तो व्यक्ति, वस्तु या स्थान के वास्तविक गुणों को कभी स्पष्ट रूप से नही दिखाया जाएगा , फलस्वरूप आपका दृष्टिकोण भ्रमित होने के आसार अधिक हैं ।
स्वयं के बुद्धी का प्रयोग करे तत्पश्चात निर्णय करें!!!
-अजय
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