#अध्ययन_करें
पढ़ना और अध्ययन करना दो अलग अलग प्रक्रियायें हैं।जब आप कोई ग्रंथ पढ़तें है तो आप बस उसकी शब्दों या बहुत तो शाब्दिक अर्थों तक ही सीमित रह जाते हैं और पढ़ने की प्रकिया भी जल्द पूरी हो जाति है।
किंतु जब आप किसी ग्रंथ का अध्ययन करते हैं तो आप उसके शब्दों से जुड़े भावों और उसके वास्तविक ज्ञान को समझते और विचार करते है।
पढ़ना जहाँ सिर्फ़ आपको ज्ञान देता है अध्ययन आपके स्वयं के विचारों को जन्म देता है।
पढ़ना बिलकुल वैसा ही है जैसे किसी सरोवर के जल पर स्वयम् चल कर उसके जल की शीतलता, उसकी लंबाई- चौड़ायी का जान लेना। किंतु अध्ययन करना बिलकुल वैसा जैसे सरोवर से जुड़े तमाम चीज़ों का बोध होना।
पढ़ना आपको सतही ज्ञान देता है जबकि अध्ययन आपको आंतरिक ज्ञान देने के साथ साथ आपके भीतर नए विचारो की उत्पत्ति करता है। आपको किसी विषय पर चिंतन मनन करने योग्य बनता है।
विचार करें! पढ़ें नही अध्ययन करें।
– अजय
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